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फोन बैंकिंग से आसान होगी जिंदगी

तकनीक-ए- जहॉ
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mobile-bankingकिसी ने सही कहा है कि पैसा बोलता है! धातु की मुद्रा से लेकर एटीएम कार्ड तक हमने मुद्रा के कई रूप देखे हैं. समय के साथ-साथ मुद्रा के स्वरूप में भी बदलाव आया है. आज चलन है फोन बैंकिंग का. हो भी क्यों ना जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके मोबाइल फोन से अगर हम पैसों का लेन देन कर सकें तो हमारा काफ़ी समय बचता है.

वास्तविकता यह है भारत में मोबाइल बैंकिंग का चलन पहले चरण में है. अरबों की जनसंख्या वाले देश में केवल मुट्ठी भर लोग होंगे जो फोन बैंकिंग पद्धति के बारे में जानते या इस्तेमाल करते होंगे. लेकिन अनुमान यह है कि अगले दो वर्षों में फोन बैंकिंग के क्षेत्र में एक क्रांति सी आने वाली है.

2 जी स्पेक्ट्रम को सोचते हुए सबसे पहला ख्याल आता है इससे जुड़े भ्रष्टाचार मुद्दों पर. लेकिन अगर हम इस प्रकरण को किनारे रख 2 जी स्पेक्ट्रम के सकारात्मक पहलुओं पर नज़र डालें तो पता चलता है कि वास्तव में 2 जी स्पेक्ट्रम हमारे देश के लिए मील का पत्थर हो रहा है. मौजूदा समय में उपभोक्ता द्वारा फोन बैंकिंग को नज़रअंदाज़ करने का सबसे बड़ा कारण मोबाइल कनेक्टिविटी है. कम स्पीड के चलते लोगों को मोबाइल बैंकिंग इस्तेमाल करने में बहुत समय लगता है जिससे लोग परेशान हो जाते हैं और अगली बार मोबाइल बैंकिंग इस्तेमाल करने की सोचते भी नहीं हैं. लेकिन 2 जी स्पेक्ट्रम आने से मोबाइल की कनेक्टिविटी में बहुत सुधार हुआ है जिसके फलस्वरूप इसका इस्तेमाल भी बढ़ा है. इसके अलावा कुछ सी समय बाद 3 जी स्पेक्ट्रम भी आने वाला है और जिसके आने से लोग मोबाइल में भी 100 एमबीपीएस की स्पीड पा सकेंगे. फिर सोचिए क्या होगा. !

फोन बैंकिंग के अनेकों फायदों में से एक है समय की बचत क्योंकि अगर आप फोन बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं तो आप को बैंक में जाकर लंबी लाइन में नहीं लगना पड़ेगा. बस कहीं से बैठे–बैठे आप पैसों का आदान-प्रदान कर सकते हैं और भर सकते हैं महत्वपूर्ण बिल. लेकिन जहां इसके फायदे हैं वहीं इस तकनीक से घाटे भी हैं. सुरक्षा के लिहाज़ से अभी भी बहुत सी त्रुटियां है जिसके कारण लोग इससे बचते हैं. लोगों को डर लगता है कि कहीं उनका एकाउंट हैक न हो जाए.

रिजर्व बैंक की पहल

फोन बैंकिंग के इस्तेमाल में सुरक्षा के मुद्दों से निपटने के लिए रिजर्व बैंक ने एक नई पहल की है. जिसके तहत अब फोन पर बैंकिंग सेवाएं लेने वाले ग्राहकों या क्रेडिट कार्ड धारकों से नए साल से अतिरिक्त पासवर्ड मांगे जाएंगे.

रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार अब उपभोक्ता को वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) प्रदान किया जाएगा जो केवल दो घंटों तक मान्य रहेगा. मतलब हर इंटरएक्टिव वायस रिस्पांस के अंतर्गत अब उपभोक्ताओं को नया ओटीपी बनाना होगा. रिजर्व बैंक की यह पहल वाकई में महत्वपूर्ण है जिससे लोग सुरक्षित रहेंगे.

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