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आजकल की भागती-दौड़ती जिन्दगी में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत परेशान रहने लगे हैं, पता ही नहीं किस उम्र में कौन सी बीमारी आपको अपने चपेट में ले लेती है. इनमें से कुछ बीमारियां तो इतनी खतरनाक होती हैं कि उनका निशाना सीधा हमारी सांसों पर होता है. ऐसी ही एक खतरनाक बीमारी है कैंसर, जिसका उम्र या लिंग से कोई लेना देना नहीं है. पता ही नहीं चलता कि कब, कैसे, किस कारण से कैंसर एक स्वस्थ मनुष्य को अपनी चपेट में ले लेता है और फिर उसे हर संभव तरीके से परेशान करता है जिसका अंत मनुष्य के जीवन के साथ ही होता है.
लेकिन अब वैज्ञानिकों ने शरीर में फैलने वाले कैंसर की वजहों का पता लगाने का दवा किया है और यह भी उम्मीद जताई है कि कैंसर की वजहों का पता लगाकर वह इसे फैलने से रोकने का भी रास्ता ढूंढ़ निकालेंगे. इतना ही नहीं इसका एक मुख्य फायदा यह भी होगा कि इससे कैंसर के सही इलाज का भी तरीका खोजा जाएगा.
नेचर सेल बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन की रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं ने शरीर में कोशिकाओं के एकत्रित होने और शरीर के भीतर उनके भ्रमण की प्रक्रिया, जिसे ‘चेज एंड रन’ का नाम दिया गया है, के बारे में पहली बार बताया. इस अध्ययन के अंतर्गत इस बात पर ध्यान दिया गया कि संक्रमित कोशिकाएं और स्वस्थ कोशिकाएं कैसे एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं जिसकी वजह से स्वस्थ कोशिकाएं भी संक्रमित होती हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं के शरीर में घूमने से लेकर दूसरी कोशिकाओं को संक्रमित करने की प्रक्रिया को मेटास्टेटिस कहा जाता है.
शोधकर्ता यह बात जानते थे कि कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं शरीर में दूरी तय करने के लिए स्वस्थ कोशिकाओं का सहारा लेती हैं. लेकिन यह प्रक्रिया कैसे होती है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
लेकिन इस अध्ययन के बाद शरीर में तेज गति से भ्रमण कर स्वस्थ कोशिकाओं को संक्रमित करने वाली प्रक्रिया के बारे में पता लगा लिया गया है. अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि भ्रूण कोशिकाओं को जब मस्तिष्क की कोशिकाओं के पास लाया गया तो उन्होंने मस्तिष्क की कोशिकाओं का पीछा करना शुरू कर दिया. इसके बाद वैज्ञानिकों को पूरा विश्वास हो गया है कि कैंसर संक्रमित कोशिकाओं और स्वस्थ कोशिकाओं के बीच भी कुछ ऐसा ही होता होगा.
इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर रॉबर्ट मेयर के अनुसार कैंसर के पहले चरण में मौत होने की संभावना कम रहती है लेकिन कैंसर के दूसरे चरण में यह संभावना तेजी से बढ़ती है क्योंकि इस दौरान कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं फेफड़ों और दिमाग की कोशिकाओं को संगठित करते हुए आगे बढ़ने लगती हैं. इसीलिए वहीं पर उनके क्रियाशील स्वभाव को रोक लिया जाए तो कैंसर के दूसरे चरण में पहुंचने से व्यक्ति को बचाया जा सकता है.
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