Menu
blogid : 317 postid : 725930

एरोप्लेन का आविष्कार सर्वप्रथम अमेरिका में नहीं बल्कि भारत में हुआ था फिर भी उसका श्रेय राइट ब्रदर्स को मिल गया, जानिए कैसे

तकनीक-ए- जहॉ
तकनीक-ए- जहॉ
  • 174 Posts
  • 487 Comments

पौराणिक कथाओं में उड़न खटोले और विमान का जिक्र अकसर होता आया है. रामायण में जहां सीता का अपहरण करने के लिए रावण ने अपने प्राइवेट उड़न खटोले का उपयोग किया था वहीं महाभारत युगीन काल में भी हवा में उड़ने वाले वाहन प्रचलित थे. लेकिन फिर भी जब मॉडर्न युग के एरोप्लेन की बात आती है तो हम हवाई जहाज बनाने का श्रेय राइट ब्रदर्स को दे देते हैं. खुद ही सोचिए यह कितनी गलत बात है कि जिस तकनीक का आविष्कार भारत में हुआ उसके लिए अमेरिकी बंधुओं राइट ब्रदर्स को क्रेडिट दिया जाता रहा है.



airplane



अब आपके मन में यह ख्याल भी आ रहा होगा कि पौराणिक काल के वायुयान और मॉडर्न एज के वायुयान की तकनीकों में जब जमीन-आसमान का अंतर है तो क्यों ना इसके लिए अमेरिकी बंधुओं को थैंक्स कहा जाए? चलिए आपकी ये दुविधा भी हम दूर करते हुए सभी भारतीयों को अपने ऊपर गर्व करने का एक मौका दिए देते हैं क्योंकि एरोप्लेन का आविष्कार अमेरिका में नहीं बल्कि भारत में हुआ था जिसे मुंबई स्थित चौपाटी से उड़ाया गया था.



राइट ब्रदर्स ने जिस हवाई जहाज का आविष्कार किया था वह 17 दिसंबर, 1903 में उड़ाया गया था जबकि इससे करीब 8 साल पहले ही शिवकर बापूजी तलपडे नाम के एक मराठा ने अपनी पत्नी की सहायता से 1895 में हवाई जहाज को बनाया जो 1500 फीट ऊपर उड़ा और फिर वापस नीचे गिर गया. मुंबई स्थित चिर बाजार में रहने वाले शिवकर बापूजी तलपडे अपने अध्ययन काल से ही हवाई जहाज बनाने की विधि को जानने और समझने के लिए इच्छुक थे. आपको बता दें कि भारत में विमान शास्त्र के सबसे बड़े ज्ञाता महर्षि भारद्वाज ने सबसे पहले इस विषय पर पुस्तक लिखी और फिर इसके बाद अन्य ज्ञाताओं ने सैकड़ों पुस्तकों के जरिए विमान बनाने की तकनीक को और अधिक विस्तृत तरीके से पेश किया. भारत में विमानशास्त्र से संबंधित जो भी पुस्तकें उपलब्ध हैं उनमें से सबसे पुरानी किताब 1500 वर्ष पहले लिखी गई थी. महर्षि भारद्वाज की किताब शिवकर बापूजी तलपडे के हाथ लगी और उन्होंने इसका विश्लेषण भी किया. इस पुस्तक के बारे में बापूजी तलपडे ने कुछ बेहद रोच बातें कहीं जैसे:


कैसा महसूस होगा आपको जब हवा से बात होगी आपकी ?


पुस्तक के आठवें अध्याय के सौ खंडों में विमान बनाने की तकनीक का विस्तृत वर्णन है और इस पूरी पुस्तक में विमान का निर्माण करने से जुड़े 500 सिद्धांतों को शामिल किया गया है.


shivkar bapuji talpade


तत्‍कालीन बड़ौदा नरेश सर सयाजी राव गायकवाड़ और बम्‍बई के प्रमुख नागरिक लालाजी नारायण के अलावा महादेव गोविंद रानाडे के सामने शिवकर बापूजी तलपडे ने अपना हवाई जहाज उड़ाया. इससे पहले वो अपनी इस तकनीक को और बड़े स्तर पर ख्याति दिलवा पाते उनकी पत्नी का देहांत हो गया और जीवन संगिनी के जाने के बाद संसार के प्रति उनका मोह कम हो गया और 17 सितम्‍बर, 1917 को उन्होंने भी अपना देह त्याग दिया. तलपडे के देहांत के बाद विमान का मॉडल और संबंधित सामग्री को उनके उत्तराधिकारियों ने एक ब्रिटिश फर्म ‘रैली ब्रदर्स’  को बेच दिया और फिर वही हुआ जिसका भय था. पहले वायुयान को बनाने का सारा श्रेय अमेरिकी बंधुओं को दे दिया गया.


सोचिए अगर इंटरनेट जैसा कोई शब्द अस्तित्व में ही ना होता तो….

‘टच’ के बाद अब और क्या?

फ्यूचर बेबी के जलवे, यकीन नहीं आता तो खुद देख लीजिए


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh